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President Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुखोई फाइटर जेट में भरी उड़ान, देखें Video

President Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई सू-30 एमकेआई फाइटर जेट में उड़ान भरी. राष्ट्रपति फ्लाइंग सूट में नजर आईं. बता दें कि सुखोई सू-30 एमकेआई भारतीय वायुसेना के सबसे सक्षम लड़ाकू विमानों में से एक है. देखें ये वीडियो.

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 में ओडिशा के मयूरभंज जिले के संताली आदिवासी परिवार में हुआ। द्रौपदी के पिता और दादा दोनों ही अपने गांव के सरपंच रहे थे, जिस कारण गांव उनका परिवार काफी प्रभावशाली था। लेकिन इसके बावजूद भी गांव में ऐसी कई समस्याएं थीं, जिनसे वहां के लोगों को जुझना पड़ता था। ऐसे में किसी पिछड़े गांव से निकलकर राष्ट्रपति बनने का सफर बेहद दिलचस्प था।





राजनीति से पहले शिक्षक थीं द्रौपदी


राजनीति में करियर की शुरुआत से पहले द्रौपदी ने शिक्षक के रूप में काम किया। उन्होंने अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च रायरंगपुर से मानद सहायक शिक्षक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा द्रौपदी कुछ समय तक सिंचाई विभाग में कार्यरत रहीं। 


झारखंड की राज्यपाल रही द्रौपदी


राष्ट्रपति बनने से पहले द्रौपदी 6 साल के लिए झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। उन्हें झारखंड की पहली महिला राज्यपाल होने का गौरव प्राप्त है।




द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर


द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर साल 1997 में शुरू हुआ था। जहां उन्होंने पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। इसके बाद कुछ समय तक वो बतौर उपाध्यक्ष भी कार्यरत रहीं। द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक सफर में बड़ा मुकाम तब आया जब उन्हें विधायक के रूप में चुना गया। साल 2000-2004 के बीच द्रौपदी मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं। इस बीच उन्हें वाणिज्य और परिवहन का स्वतंत्र प्रभार भी संभाला था। साल 2004 के बाद दोबारा विधायक बनीं। अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।


साल 2001 के दौरान द्रौपदी मुर्मू की शादी श्यामाचरण मुर्मू नाम के बैंकर से हुई थी। दोनों ने 3 बच्चों को जन्म दिया और सुखी-सुखी जीवन जीने लगे। साल 2010 में द्रौपदी का जीवन पूरी तरह बदल गया। साल 2010 में उनके पहले बेटे की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। इसके बाद साल 2013 में उनके दूसरे बेटे का भी एक्सीडेंट हो गया। बेटों की मौत ने पिता श्याम चरण को भी प्रभावित किया, जिसके चलते कार्डियक अरेस्ट की वजह से साल 2014 में उनका भी निधन हो गया। इतनी मुश्किलों के बाद भी द्रौपदी ने कभी हार नहीं मानी और राष्ट्रपति का पद हासिल किया।


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