Ganga Saptami 2023: इस दिन मनाई जाएगी गंगा सप्तमी, जानें पूजा-विधि समेत सबकुछ, देखें VIDEO
Ganga Saptami 2022 : हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी काफी महत्वपूर्ण मानी गई है. गंगा सप्तमी हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) 27 अप्रैल 2023, दिन गुरुवार को है. पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक हर शुभ काम में गंगा जल का उपयोग किया जाता है. मां गंगा को मोक्ष प्रदान करने वाली माना जाता है. सप्तमी के दिन दान पुण्य भी किया जाता है इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां गंगा की पूजा अर्चना की जाए तो अशुभ ग्रहों के प्रभाव से भी छुटकारा मिलता है. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि
गंगा सप्तमी पर दान-पुण्य का महत्व
गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से भक्तों के पाप कर्मों का नाश होता है. यदि गंगा नदी में स्नान करना संभव नहीं हो तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान किया जा सकता है. ये भी मान्यता है कि इस दिन माता गंगा के पवित्र जल के छींटे मारने भर से सारे पापों का अंत हो जाता है.
भगवान शिव की जटाओं से अवतरित हुईं
धार्मिक पुराणों के अनुसार राजा भगीरथी के अथक प्रयासों से ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं.
गंगा स्नान का महत्व
गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर रोगी को गंगा स्नान कराया जाए तो उसके रोगों का क्षय होता है और उसे मां गंगा स्वस्थ होने का वरदान देती हैं
भगवान शिव का जलाभिषेक करें
गंगा सप्तमी के दिन चांदी या स्टील के कलश में गंगाजल लें. इस कलश में पांच बेलपत्र डाल कर इस जल से ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का अभिषेक करें. मान्यता के अनुसार ये उपाय करने से आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी.
गंगा सप्तमी पूजा विधि
गंगा सप्तमी के दिन यानी 27 अप्रैल को सुबह शुभ मुहूर्त में अपने घर में ही उत्तर दिशा में एक लाल कपड़े पर गंगा जल मिले कलश की स्थापना करें। “ऊँ गंगायै नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल में थोड़ा सा गाय का दुध, रोली, चावल, शक्कर, इत्र एवं शहद मिलाएं। अब कलश में अशोक या फिर आम के 5-7 पत्ते डालकर उस पर एक पानी वाला नारियल रख दें। अब उक्त कलश का पंचोपचार पूजन करें। गाय के घी का दीपक, चंदन की सुगंधित धूप, लाल कनेर के फूल, लाल चंदन, ऋतुफल एवं गुड़ का भोग लगावें।
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उपरोक्त विधि से पूजन करने के बाद माँ गंगा के इस मंत्र- “ऊँ गं गंगायै हरवल्लभायै नमः” का 108 बार जप जरूर करें। इस दिन अपने सभी तरह के दुखों एवं पापों से मुक्ति पाने के लिए अपने ऊपर से 7 लाल मिर्ची बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।
गंगा सप्तमी पर्व की कथा
शास्त्रों में कथा आती है कि एक बार सगर वंसज ऋषि भगीरथ ने अपने कुल के 60 हजार पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और शांति सद्गति की कामना से मां गंगा को स्वर्ग लोग से धरती पर लाने के लिए कठोर तप किया था। भगीरथ के कठोर तप से मां गंगा धरती पर आने के लिए तैयार हो गई, और मां गंगा के तीव्र वेग को भगवान शंकर अपनी जटा में धारण कर लिया था। लेकिन गंगा जी का वेग इतना तीव्र था कि शंकर जी के धारण करने के बाद भी गंगा की तेज धार के कारण महर्षि जाह्नु का आश्रम बर्बाद हो गया, और क्रोध में आकर महर्षि जाह्नु ने गंगा के जल को पूरा पी लिया।
बाद में भगीरथ एवं देवताओं के निवेदन पर महर्षि जाह्नु ने गंगा को मुक्त कर दिया। जिस दिन गंगा मुक्त हुई उस दिन वैशाख मास की सप्तमी तिथि थी, तभी से गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाने लगा, और मां गंगा को एक नया नाम भी दिया गया- "जाह्न्वी" इस तरह गंगा जाह्न्वी भी कहलाने लगी।
गंगा सप्तमा वीडियो | Ganga Saptami Video
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