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kamada ekadashi katha: कामदा एकादशी व्रत कथा, जानिए कामदा एकादशी के बारे में सबकुछ देखें Video

kamada ekadashi katha in hindi: शास्त्रों में एकादशी का संबंध सीधा भगवान विष्णु से बताया गया है. यही वजह है कि एकादशी व्रत को सभी व्रतों में खास माना गया है, उन्हीं में से एक कामदा एकादशी है. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से रोग-शोक दूर होते हैं. साथ ही साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जिसकी वजह से घर-परिवार खुशहाल नजर आता है. सनातन धर्म की मान्यता है कि एकादशी व्रत बेहद कठिन और पुण्यदायी होता है. साल भर की 24 एकादशी में कामदा एकादशी का अपना अलग ही महत्व है. साल 2023 में कामदा एकादशी कब है, इसके नियम क्या-क्या हैं और पारण का सभी समय क्या है, इसको लेकर लोग अभी से जानना चाहते हैं. इसके पीछे कारण यह है कि किसी भी एकादशी व्रत का नियम एक दिन पहले यानी दशमी तिथि के ही शुरु हो जाता है. आइए जनते हैं कि 2023 में कामदा एकादशी कब है और इसके लिए सभी नियम और विधि क्या है. 


कामदा एकादशी का क्या महत्व है?


इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत ब्रह्महत्या जैसे पापों आदि दोषों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और हजारों वर्ष की तपस्या के बराबर का फल प्राप्त होता है।





कामदा एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है?


यह एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पापों का नाश होता है। इस एकादशी व्रत के एक दिन पहले यानी दसवें दिन या दशमी, जौ, गेहूं और मूंग आदि को दिन में एक बार भोजन के रूप में सेवन करना चाहिए और भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।


कामदा एकादशी का व्रत कब है?


इसके व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने हुए पाप भी कट जाते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यानी 1 अप्रैल 2023 को कामदा एकादशी मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 01 अप्रैल को सुबह 01 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होगी और 02 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।


कामदा एकादशी का पारण टाइम क्या है? (Kamada Ekadashi Vrat Parana Auspicious Time)


जो लोग 1 अप्रैल को एकादशी का व्रत रखेंगे, वो व्रत का पारण 02 अप्रैल 2023 को दोपहर 01 बजकर 40 मिनट से शाम 04 बजकर 10 मिनट के बीच कर सकते हैं. वहीं जो लोग 02 अप्रैल को व्रत रख रहे हैं, वे 03 अप्रैल 2023 की सुबह 06 बजकर 09 मिनट के बाद कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं.


कामिका एकादशी पर क्या खाना चाहिए?


पूजा की थाली में तुलसी के पत्ते, ताजे फल, मिठाई, पंचामृत और पीले फूल शामिल होने चाहिए। भक्तों को विशेष रूप से बच्चों को घर पर कामिका एकादशी की कथा सुनाने की सलाह दी जाती है। इसके बाद आरती उतारी जाती है और प्रसाद बांटा जाता है।







एकादशी का व्रत कौन रख सकता है?


इस व्रत को वही लोग कर सकते हैं जो दृढ़ निश्चयी और गहरे आध्यात्मिक हैं । व्रत के दौरान अन्न और जल को स्पर्श नहीं करना चाहिए। हालांकि, जो लोग निर्जला एकादशी (पानी के बिना एकादशी) का पालन नहीं कर सकते, वे फल और दूध का सेवन कर सकते हैं। खाद्यान्न, मांस और मछली का सेवन सख्त वर्जित है। 


एकादशी के दिन क्या क्या नहीं करना चाहिए?


दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. दशमी और एकादशी दोनों दिन लोगों को भोग-विलास से दूर पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. एकादशी के दिन भूलकर भी वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ेने चाहिए. इस दिन घर में बहुत ध्यान से झाड़ू लगाना चाहिए.


एकादशी व्रत कितने करने चाहिए?


एकादशी माह में दो बार आती है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. इस तरह वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं. इसका उद्यापन देवताओं के प्रबोध समय में ही एकादशी के व्रत का उद्यापन करें, विशेष कर मार्गशीर्ष के महीने में, माघ माह में या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) के दिन ही इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए.


एकादशी पर लोग चावल क्यों नहीं खाते?

चावल न खाने का धार्मिक कारण:  कहा जाता है कि जिस दिन उन्होंने अपना शरीर त्यागा उस दिन एकादशी थी। जब महर्षि ने अपना शरीर त्याग दिया तो वह चावल और जौ के रूप में धरती में जन्म लिया। इसी कारण चावल और जौ को जीव के रूप में माना जाता है। एकादशी के दिन इनका सेवन करना यानी महर्षि मेधा के खून और रक्त का सेवन करने के बराबर है।


एकादशी पारण में क्या करना चाहिए?


एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए। एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है। लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।


क्या एकादशी के दिन दूध पी सकते हैं?

एकादशी के दिन भक्तों को दाल-चावल नहीं खाना चाहिए, लेकिन इस दिन खाना पूरी तरह वर्जित नहीं है। वे आलू जीरा, साबुदाना खिचड़ी, साबुदाना खीर, कट्टू की पूरी या पराठा आदि जैसे झटपट व्यंजन खा सकते हैं । दूध और फलों के सेवन की भी अनुमति है ।


क्या एकादशी को तुलसी में जल देना चाहिए?


माना जाता है कि माता तुलसी हर एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के लिए निर्जल व्रत करती हैं. इसलिए एकादशी के दिन भी तुलसी में जल अर्पित करनी की मनाही होती है


रविवार को तुलसी जी के पास दीपक क्यों नहीं जलाना चाहिए?


क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के लिए तुलसी माता इस दिन निर्जला व्रत करती है और जल चढ़ाने की वजह से यह व्यरत खंडित हूँ जाता है। इसलिए रविवार के दिन तुलसी माता को न जल चढ़ाया जाता है और न ही उनके नीचे दीपक लगाया जाता है अन्य दिनों मैं जल्दी उठकर तुलसी माता की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है।


एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए?


देवउठनी एकादशी के दिन अन्न और धन के अलावा अनाज, मक्का, गेहूं, बाजरा, गुड़, उड़द और वस्त्र दान किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन सिंघाड़ा, शकरकंद और गन्ना का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दान से घर में सुख-शांति बनी रहती है।


एकादशी के दिन सूप क्यों पीटा जाता है? | देवउठनी एकादशी के दिन गन्ने और सूप का महत्व


कटाई से पहले गन्ने की विधिवत पूजा की जाती है और इसे विष्णु भगवान को चढ़ाया जाता है. भगवान विष्णु को अर्पित करने के बाद गन्ने को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. मान्यता के अनुसार, इस दिन महिलाएं सूप पीटने का कार्य करती हैं. इससे घर में कामना आती है.


तुलसी के पौधे में दीया कहां रखते हैं?


आपके पास तुलसी या पवित्र तुलसी का पौधा है, तो उसके पास दीये रखें। यदि आपके पास तुलसी का पौधा नहीं है, तो दीये को अपनी रसोई में रखें। अपने जीवन में धन का स्वागत करें, दीयों को उत्तर या उत्तर पूर्व की ओर रखें।

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