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krishnashtami katha in hindi_ कृष्णाष्टमी की कथा, श्रीकृष्ण ने खुद बताया जन्माष्टमी के बारे में

 कृष्णाष्टमी भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. 2021 में कृष्णाष्टमी का उत्सव 30 अगस्त को मनाया जाएगा. भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को आधी रात में हुआ था. श्रीकृष्ण, विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से 16 कलाओं के पूर्ण होकर अवतार लिए. ब्रह्मपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का अवतार दुष्टों के नाश और मानव के कल्याण के लिए हुआ. कृष्णाष्टमी पर लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान् श्रीकृष्ण की उपासना करते हैं. इस दौरान लोग व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि कृष्णाष्टमी पर विधि-विधान से व्रत रखने पर श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलता है. आगे हम आपको कृष्णाष्टमी की कथा के बारे में बता रहे हैं.  

krishnashtami katha in hindi_कृष्णाष्टमी (krishnashtami) की कथा के बारे में भविष्य पुराण (bhavishya purana) में वर्णन मिलता है. इस कथा के मुताबिक युधिष्ठिर (yudhishthira) के पूछने पर भगवान् श्रीकृष्ण (Lord Krishna) से कहा- राजन, जब मथुरा में हमने दुष्ट कंस को मारा. उस समय माता दवकी अपने गोद में लेकर रोने लगी. पिता वसुदेव (vasudeva) भी मुझे और बलदेव (baldev) को आलिंगन कर कहने लगे, आज मेरा जन्म सफल हुआ. मैं अपने दोनों पुत्रों को कुशल देख रहा हूं. मेरे पिता को खुश देखकर बहुत लोग वहां इकट्ठा हो गए. फिर मुझसे कहने लगे भगवन् आपने बहुत बड़ा काम किया, जो दुष्ट कंस को मारा. आप कृपा कर बताएं कि माता देवकी के गर्भ से आपका प्रादुर्भाव कैसे हुआ. हम सब उस दिन महोत्सव मनाया करेंगे. 

krishnashtami katha in hindi_उस समय पिता वसुदेव ने भी कहा था कि अपना जन्मदिन इन्हें बता दो. तब मैंने मथुरावीसियों को कृष्णाष्टमी व्रत (krishnashtami vrat katha) का रहस्य बताया. और कहा- पुरावासियों आप लोग मेरे जन्मदिन को विश्व में जन्माष्टमी के नाम से प्रसारित करें. जिस समय सिंह राशि (Leo Zodiac) पर सूर्य (Sun Planet) और वृष राशि (Taurus Zodiac) पर चंद्रमा (chandra) था, उस कृष्णपक्ष की अष्टमी (krishna paksha ashtami 2021) को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) में मेरा जन्म हुआ. 

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krishnashtami katha in hindi_कहते हैं कि श्रीकृष्ण (shri krishna) के ऐसा बताने के बाद से ही भाद्रपद मास की अष्टमी (bhadra pada Ashtami 2021) को "कृष्णाष्टमी" (Krishnashtami 2021) या "जन्माष्टमी" (Janmashtami 2021) के रूप में मनाया जाने लगा. इस तरह पहली बार जन्माष्टमी (janmashtami) मथुरा (mathura) में मनाई गई. बाद में धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में भी कृष्णाष्टमी (जन्माष्टमी) को धूमधाम से मनाया जाने लगा. 

इसके अलावा श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का विधान बताया. व्रत का विधान बताते हुए श्रीकृष्ण ने कहा कि इस दिन व्रत करने से संसार में शांति होगी. सुख प्राप्त होगा और रोग दूर होंगे. श्रीकृष्ण ने यह भी कहा कि इस व्रत को करने से सात जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं. यह सुनकर राजा युधिष्ठिर हस्तिनापुर में हर साल कृष्णाष्टमी महोत्सव (krishnashtami mahotav) मनाने लगे. 

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