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kalash sthapana navratri 2021_ हर इच्छा पूरी होने की रखते हैं चाहत ! इस विधि से करें नवरात्रि में कलश स्थापन

 kalash sthapana shardiya navratri 2021_शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापन (kalash sthapana) का विशेष महत्व है. कलश स्थापन से नवरात्रि शुरू हो जाती है. शारदीय नवरात्रि 2021 के लिए कलश स्थापन 7 अक्टूबर को है. 7 अक्टूबर को कलश स्थापन के साथ ही नौ दिवसीय शक्ति उपासना का महापर्व शुरू हो जाएगा. सनातन धर्म में कलश स्थापन की खास विधि के बारे में विस्तार से बताया गया है. यहाँ हम आपको शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापन के बारे में सविधि बता रहे हैं.  

kalash sthapana navratri 2021_ शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापन कैसे करें?_कलश स्थापन के लिए सबसे पहले स्वस्तिवाचन किया जाता है. स्वस्तिवाचन वैदिक, पौराणिक मंत्रोच्चारण से करें. इसके बाद ही कलश स्थापन करना चाहिए. कलश सोना, चाँदी, ताँबा या पीतल का होता है. इसके अभाव में मिट्टी के कलश का प्रयोग किया जा सकता है. कलश स्थापन के लिए दो हाथ, डेढ़ हाथ या कम से कम एक हाथ की चतुष्कोणीय या वर्गाकार वेदी का निर्माण करें. इनमें  से सबसे उत्तम दो हाथ वाली वेदी होती है. वेदी पर शुद्ध बालुका समतल करके रखें. बालुका पर समुचित मात्रा में जव (जौ) मंत्र के साथ छींटें. इसके बाज व्रती नित्यकर्म कर कलश स्थापन के लिए संकल्प करें. 

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kalash sthapana sankalp vidhi_कलश स्थापन संकल्प

ओम् अद्य आश्विने मासि शुक्ले पक्षे प्रतिपत् तिथौ अमुक गोत्रस्य अमुक शर्मणो मम सपरिवारस्य सदारापत्यमित्रस्य सवाहनस्य उपस्थितशरीराविरोधेन नवग्रहोपग्रहजनित सकलारिष्ट झटिति प्रशमन पूर्वक दीर्घायुष्ट्व बलपुष्टि नैरूज्य प्राप्ति सर्वपाप प्रशमनाखिलापछान्ति पूर्वक धन-धान्य सन्तति सुखान्वित निखिलमनोभिलषित फलप्राप्ति पूर्वक साङ्ग सायुध सवाहन सपरिवार श्रीदुर्गाप्रतिकामो वार्षिक शरत्कालीन श्रीदुर्गापूजाङ्गभूत कलशस्थापन अहम् करिष्ये. 

kalash sthapana navratri 2021
शारदीय नवरात्रि कलश स्थापन विधि

संकल्प के बाद क्या करें_ what to do after Sankalp

संकल्प के बाद पंचगव्य व गंगाजल से पूजा स्थान को पवित्र कर कलश धार की पंचोपचार पूजा करनी चाहिए. इसके बाद कलश में गंगाजल देकर पंचरत्न देना चाहिए. स्वर्ण, हीरा, पद्मराग, मरकत और नीलमणि इत्यादि पंचरत्न कहे गये हैं. इसके अभाव में रत्तीमात्र स्वर्णखंड देना चाहिए. 

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यदि यह भी उपलब्ध न हो सके तो कम से कम एक चाँदी का सिक्का डालना चाहिए. इसके अभाव में इसके तुल्य आधुनिक सिक्की भी दिया जा सकता है. इसके बाद पंचपल्लव देना चाहिए. पंचपल्लव- आम, वट, पीपल, पाकड़ और गूलर हैं. इसके बाद सप्तमृतिका देना चाहिए. फिर पंचामृत से शरीर की शुद्धि करें. ये सब कलश स्थापन के लिए आवश्यक हैं.

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