bajrangbali: बजरंगबली को "संकट मोचन" क्यों कहा जाता है, जानिए रहस्य
bajrangbali: देवता का नाम "संकट मोचन" रखा गया था जिसका अर्थ है "मुसीबतों से राहत देने वाला" । मंदिर में, भगवान हनुमान को प्रसाद (प्रसाद कहा जाता है) विशेष मिठाई "बेसन के लड्डू" की तरह बेचा जाता है, जिसे भक्त पसंद करते हैं; मूर्ति को एक सुखद गेंदे के फूल की माला के साथ भी सजाया गया है।
हनुमान जी का संकट मोचन नाम कैसे पड़ा?
उन्होंने बहादुरी से रावण की लंका में आग लगाई और अपनी स्वामी भक्ति का प्रमाण दिया. लक्ष्मण मूर्छित हुए तो संजीवनी बूटी के नाम पर पूरा पहाड़ उठा लाए. माता सीता को रावण से बचाने के लिए श्रीराम और वानर सेना के साथ मिलकर लंका पर आक्रमण किया. श्रीराम के संकट को दूर करने के कारण उन्हें संकटमोचन का नाम मिला.
संकट मोचन के नाम से किसे जाना जाता है?
'संकट मोचन' का अर्थ है कठिनाइयों को दूर करने वाला। यह भगवान हनुमान को दिया गया एक अत्यंत उपयुक्त नाम है जो न केवल भक्तों के कष्टों, परेशानियों और कठिनाइयों को दूर करता है, बल्कि रामायण के कई महत्वपूर्ण पात्रों की भी मदद करता है।
हनुमान जी और बजरंगबली में क्या अंतर है?
हनुमान जी को संकंटमोचन के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि वे अपने भक्तों के दुखों को हमेशा दूर करते हैं. बल और बुद्धि के देवता हनुमान जी को बजरंगबली भी कहा जाता है. हनुमानाष्टक की संरचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. माना जाता है कि हनुमान जयंती पर संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्ति मिलने के साथ उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं.
हनुमान के बेटा कौन था? Know Who Is Hanuman Son Read Story Of Makardhwaj
एक समय हनुमान जी प्रभु राम और लक्ष्मण को खोजते हुए पाताल लोक पहुंच गए। वहां उन्होंने अपने जैसे पहरेदार को देखकर अचंभित हो गए। हनुमान जी की तरह दिखाई देने वाले पहरे पर खड़े हुए मकरध्वज ने स्वयं को हनुमान का पुत्र बताया।
कौन थे हनुमान के पिता ?
वाल्मीकि की रामायण के मुताबिक, हनुमान के पिता केसरी बृहस्पति पुत्र थे, जो स्वयं राम की सेना के साथ मिलकर रावण के खिलाफ लड़े थे. अंजना और केसरी ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की उपासना की थी. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ही इन्हें पुत्र का वरदान दिया था.
हनुमान जी का पहला नाम क्या था?
बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था, जो दरअसल उनका सबसे पहला व असली नाम था। देवी अंजना के पुत्र होने से इन्हें अंजनी पुत्र व आंजनेय भी कहा जाता है। तो वही पिता केसरी के नाम से भी इन्हें जाना जाता हैं।
हनुमान चालीसा कब नहीं पढ़ना चाहिए?
कई बार लोग अस्वच्छ अवस्था (गंदे कपड़ों और रजस्वला स्त्री के स्पर्श के बाद) में ही हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। ऐसी गलतियां करने से बचना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय बैठने के लिए ऊनी या कुशा के आसन का उपयोग करना चाहिए। अन्य आसन का उपयोग करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता।
हनुमान जी को हनुमान क्यों कहते हैं?
इंद्र देव ने अपने व्रज से मारुति के हनु जिसे ठोड़ी पर प्रहार किया,जिससे हनुमानजी का हनु यानी ठुड्डी पर प्रहार किया, जिससे हनुमानजी का हनु टूट गया इसके कारण ही उनका नाम हनुमान पड़ गया।
सुबह 4 बजे हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
सबसे पहले जवाब दिया गया: अगर हनुमान चालीसा को रोज सुबह 4 बजे सात बार जाप करें, तो जीवन में क्या बदलाव आएगा ? हनुमान चालीसा का 100 बार जप करने पर आपको सभी भौतिकवादी चीजों से मुक्त करता है। हनुमान चालीसा का 21 बार जाप करने से धन में वृद्धि होती है। 19 बार हनुमान चालीसा का जाप करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
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