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hartalika teej vrat katha puja vidhi_ हरितालिका तीज व्रत-कथा, पूजा विधि

hartalika teej vrat katha puja vidhi_हरितालिका तीज व्रत में शिव और पार्वती की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक हरितालिका तीज व्रत और कथा विधिपूर्वक करने पर शिव के द्वारा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. हरितालिका तीज व्रत को बहुत सावधानी से किया जाता है. इस व्रत के दौरान अन्न-पानी ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत समाप्ति के बाद ही भोजन करने की परंपरा है. हरितालिका तीज व्रती को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रदोष काल में शिव व पार्वती की पूजा के उपरांत ही व्रत खोलना चाहिए. हरितालिका तीज व्रत की कथा क्या है? साथ ही हरितालिका तीज व्रत व पूजा विधि क्या है जानिए इस बारे में.

hartalika teej vrat katha puja vidhi_हरितालिका तीज व्रत-कथा पूजा विधि

hartalika teej vrat katha puja vidhi_ सतयुग में पार्वती जी शिव को अपना पति बनाने के लिए घोर तपस्या आरंभ कर दीं. तपस्या का स्थान हिमालय था. माता पार्वती की तपस्या के बारे में सुनकर देवर्षि नारद वहां पहुंचे. देवर्षि नारद पर्वतराज हिमालय से कहा- "मुझे भगवान विष्णु ने भेजा है और वे आपकी सुता पार्वती से विवाह करने की चाहत रखते हैं." नारद जी तो लीला रचने की कला में पारंगत थे. यहां भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया. नारद देवर्षि की काल्पनिक बात को भगवान विष्णु ने नहीं काटी. इसके बाद देवर्षि भगवान विष्णु के पास गए और पार्वती से उनके विवाह की बात बताई. 

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हिमालय जब अपनी पुत्री पार्वती को उनके विवाह के विषय में बताया तो उन्हें गहरा आघात पहुंचा. इधर पार्वती जी तो शिव को अपना पति बनाने का संकल्प ले ली थीं. पार्वती जी अपना संकल्प टूट जाने के कारण विह्वल होकर अश्रुपात करने लगीं. पार्वती की इस विह्वलता को देखकर उनकी एक सखी ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बतायी. पार्वती की सखी ने उनकी हिम्मत बढ़ायी. 

फिर उन्होंने इस समस्या का समाधान सुझाया. पार्वती जी की सखी उन्हें अपने साथ एक वन में ले जातीं हैं. नदी किनारे का वह वन बिलकुल सुनसान और शांत था. वहां पार्वती गुफा के अंदर फिर से तपस्या में लीन हो गईं. फिर भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन नदी की रेत (बालू) से शिवलिंग बनाईं. शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर निराहार रहकर शिव की पूजा और रात्रि जागरण कीं. 

पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव वहां आये और उनसे विवाह करना स्वीकार किया. पार्वती का विवाह प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद शिव अपने गंतव्य को चले गए. अगली सुबह पार्वती जब शिवलिंग को पूजा के बाद नदी में विसर्जित कर रही थीं तो उनके पिता हिमालय वहां पधारे. पार्वती को एकांत स्थान पर देखकर उनसे इस बारे में पूछा. तब पार्वती ने विष्णु से अपने विवाह का पूरा प्रसंग बताया. पर्वतराज हिमालय को बात समझते देर न लगी. फिर उन्होंने विधि-विधान से पार्वती का विवाह शिव से कराया. मान्यता है कि हरितालिका तीज व्रत और पूजा विधि पूर्वक करने से अखंड सौभाग्य बना रहता है. 

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hartalika teej vrat puja vidhi_ हरितालिका तीज व्रत पूजा-विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) में जागकर नित्यक्रिया से निवृत हो लें.
  • हरतालिका तीज व्रत के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष मुहूर्त है.
  • घर के पूजा स्थान या अन्य स्वच्छ जगह पर सफेद वस्त्र या किसी चौकी पर शिव, पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करें.
  • सबसे पहले कलश स्थापन करें. 
  • कलश की पूजा करें.
  • भगवान् गणेश का उनके मंत्र से आवाह्न और पूजन करें. 
  • भगवान शिव का शिव-मंत्र से आवाह्न व पूजन करें. 
  • षोड्श (16) सुहाग सामग्री पास में रखें. 
  • सुहाग सामग्री शिव-पार्वती को अर्पित करने से पहले सास-स्वसुर के चरणों रखकर उनसे आशीर्वाद लें. 
  • शिव के वस्त्र के रूप में उन्हें धोती व गमछा अर्पण करें. 
  • व्रत के पारण के बाद धोती व गमछा ब्राह्मण को श्रद्धा पूर्वक दें. 
  • केला या मौसम के अनुकूल फल और पाँच तरह के पकवान की व्यवस्था करें. 
  • पाँच तरह के पकवान का भोग लगाने के बाद व्रत का पारण करें. 

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