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Raksha Bandhan 2021: ये है रक्षा बंधन का सबसे शुभ मुहूर्त, जानें मंत्र विधि और कथा

 Raksha Bandhan 2021: रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2021 Date Shubh Muhurat) का पर्व सावन की पूर्णिमा (Sawan Purnima 2021) को मनाया जाता है। इस बार यह 22 अगस्त यानि रविवार को मनाया जाएगा। हिन्दी पंचांग के अनुसार रक्षा सूत्र बाँधने के लिए शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Shubh Muhurat) दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से 4 बजकर 18 मिनट तक है.  शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 36 मिनट है. भद्रा काल (Bhadra Kaal on Raksha Bandhan 2021) सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक है. भद्रा काल (Bhadra Kaal) के दौरान राखी बाँधना या बंधवाना अशुभ माना गया है. 

रक्षा बंधन कथा ( Raksha Bandhan Katha) 

रक्षा बंधन पर्व का खास महत्व बताया गया है. रक्षा-सूत्र बाँधने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. उस समय भी शुभकामाना के प्रतीक के रूप में रक्षा-सूत्र बाँधा जाता था. रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) के बारे में कथा आती है कि शुक्राचार्य ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बाँधा था.  उन्होने राजा बलि को रक्षा सूत्र बाँधते हुए- "येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल"  यह मंत्र पढ़ा. इस मंत्र का अर्थ है- "जिस रक्षा सूत्र से गुरु शुक्राचार्य असुरराज राजा बलि को रक्षा के लिए बाँधा, उस रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बाँधता हूँ, हे रक्षा सूत्र तुम इनकी रक्षा में विचलित नहीं होना."  

कहते हैं कि जब शुक्राचार्य ने इस मंत्र को पढ़ते हुए बलि को रक्षा सूत्र बाँधा तो इन्द्र के वज्र का असर व्यर्थ हो गया. जिससे राजा बलि विजयी हुए. फिर वामनानतार लेकर विष्णु ने राजा बलि से तीन पग धरती माँगकर तीनों लोकों को ले लिया. इस प्रकार राजा बलि को बंधन से मुक्त किया. वह शुभ दिन था श्रावण-पूर्णिमा. 

भविष्य पुराण (Bhavishya Purana) के मुताबिक रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) की शुरुआत इंद्र की पत्नी शचि ने किया. कथा है कि एक बार देवता और दानव के बीच 12 वर्षों तक युद्ध हुआ. जिसमें देवता विजय नहीं हुए. फिर बृहस्पति के कहने  पर युद्ध रोक दिया गया. ऐसा जानकर इन्द्राणी ने कहा- "मैं कल इन्द्र को रक्षा सूत्र बाँधूंगी. इसके प्रभाव से इलकी रक्षा होगी और यह विजयी होंगे". श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ऐसा किया गया. जिससे इन्द्र सहित देवतागण विजयी हुए. 

रक्षा बंधन की विधि (Raksha Bandhan Vidhi) 

  • सुबह स्नान-ध्यान के बाद साफ-सुथरे पीतल की थाली में रेशम का रक्षा-सूत्र रखें. 
  • पूजा की थाली में केसर, चंदन, अक्षत और दूर्वा रखें. 
  • भाई को राखी पहले उन्हें चंदन लगाएं. 
  • इसके बाद  भाई की आरती करें. 
  • फिर भाई की दीहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधें. 
  • आपस में एक दूसरे को मिठाई खिलाएं. 
  • छोटे भाई को आशीर्वाद दें और बड़े भाई से आशीर्वाद लें.
  • भगवान से भाई के उत्तम स्वास्थ्य और कुशलता की कामना करें. 

रक्षाबंधन मंत्र (Raksha Bandhan Mantra) 

येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल।।

क्यों नहीं बाँधनी चाहिए भद्रा में राखी ?

भविष्य पुराण के अनुसार भद्रा में राखी नहीं बाँधना चाहिए. ऐसा इसलिए कि भाई का अनिष्ट होता है. रक्षा सूत्र बाँधने के लिए श्रावण पूर्णिमा की व्यापिनि तिथि ली जाती है. अगर व्यापिनि तिथि दो दिन या दोनों ही दिन न हो तो पूर्व का लाना चाहिए. 

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