ghatasthapana muhurat_ घटस्थापन इस मुहूर्त में करने से ही होगी माता प्रसन्न, इस समय भूलकर भी न करें
ghatasthapana muhurat_ घटस्थापन शारदीय नवरात्रि का एक अहम अंग है. घटस्थापन को लेकर प्रायः लोग जानना चाहते हैं कि इसके निरूपण का सही मुहूर्त क्या है. कहते हैं कि यदि सही समय पर और विधि के अनुसार हो तो मनोकामना शीघ्र पूरी होती है. घटस्थापना समय निरूपण के बारे में शास्त्र-पुराणों में बताया गया है. शास्त्रों के मुताबिक घटस्थापन समय निरूपण के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
ghatasthapana muhurat_घटस्थापन का शुभ मुहूर्त: घटस्थापन का शुभ मुहूर्त प्रतःकाल होता है. नवरात्रि में तिथि निर्णय सूर्योदय कालीन तिथि के अनुसार होती है. भगवती दुर्गा के आवाह्न से विसर्जन तक सभी कार्य उदयगामिनी तिथि के अनुसार होते हैं. कहा भी गया है- "भास्करोदमारभ्य यावत्तुदश नाङिकाः प्रातःकाल इति प्रोक्तः स्थापनारोपणादिषु". यदि सूर्योदय के समय दो दिन प्रतिपदा रहे तो पहले दिन की प्रतिपदा में घटस्थापन होगा.
ऐसा इसलिए कि दूसरे दिन की प्रतिपदा तिथिमल होने के कारण त्याज्य है. अमायुक्त प्रतिपदा में घटस्थापन नहीं करना चाहिए. जबकि द्वितीया युक्त प्रतिपदा शुभ है. इस संबंध में देवीपुराण में स्वयं भगवती का वचन है- "यो माम् पूजयते भक्त्या द्वितीयायां गुणान्विताम् प्रतिपच्छारदीं पूजां सोश्नुते फलमव्ययम्".
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इसके अलावा भगवती कहती हैं अमावस्या युक्त तिथि में जो कोई घटस्थापन करता है वे उन्हें असंख्य शाप देकर वंश का नाश करती हैं. वचन है- "यदिकुर्यादमायुक्ता प्रतिपद स्थापन मम, तस्मै शापयुक्तं दत्वा तस्य शेषं करोम्यहम्". परंतु एक मुहू्र्त से कम प्रतिपदा रहने पर अमायुक्त प्रतिपत् (पूर्व दिन) ही ग्राह्य है. इसमें अमावस्या योग का दोष नहीं लगता है. घटस्थापन के समय यदि चित्रा या वैधितृ हो तो उसका त्याग कर देना चाहिए.
घटस्थापन शारदीय नवरात्रि 2021 |
क्योंकि चित्रा में धन का और वैधृति में पुत्र का नाश होता है. ऐसा रुद्रयामल नामक ग्रंथ में कहा गया है- "वैधृतौ पुत्रनाशः स्याच्चित्रायां धननाशनम्". यदि घटस्थापन के दिन वैधृति रात तक रहे तो ऐसे में वैधृति आदि के तीन अंश छोड़कर चौथे अंश में घटस्थापन करें. अथवा मध्याह्न के समय अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए. ऐसा इसलिए कि रात्रि में नवरात्रि आरंभ नहीं होता है.
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इसके अलावा यदि प्रतिपदा का क्षय रहे, दूसरे दिन भी सूर्योदय के समय प्रतिपदा न रहे, तब ऐसी स्थिति में अमावस्या युक्त प्रतिपदा में घटस्थापन करना उपयुक्त माना गया है. इसके बाद ही भगवती दुर्गा की पूजा के लिए संकल्प लेना चाहिए.
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