anant puja vidhi_ अनंत पूजा आज, इस विधि से करें पूजा, तभी होगी हर ईच्छा पूरी
anant puja vidhi_अनंत पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है. 2021 में अनंत पूजा 19 सितंबर, रविवार को यानि आज मनाया जाएगा. अनंत पूजा में भगवान् अनंत की पूजा की जाती है. अनंत का अर्थ है- जिसका कोई अंत न हो. इसलिए अनंत भगवान का पूजन उस निराकार भगवान का पूजनोत्सव है, जो सर्वव्यापी है. साथ ही जिसका न आदि है और न ही अंत. अनंत पूजा-विधि के बारे में भविष्य पुराण में बताया गया है. वैसे तो अनंत पूजा की कई विधि प्रचलन में हैं. परंतु, हम आपको अनंत पूजा की शास्त्रीय और सही विधि व मंत्र के बारे में बता रहे हैं.
anant puja vidhi_ अनंत पूजा विधि 2021_अनंत भगवान की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले पूजन के स्थान को गंगाजल से स्वच्छ करें. इसके बाद स्नान आदि नित्यक्रिया कर पूजा स्थान पर आकर पूर्णघट स्थापित करें. यदि संभव हो तो एक स्थान या चौकी आदि को मंडप के रूप में सजा लें. फिर उस पर भगवान् की साक्षात् या कुश निर्मित सात फणों वाली शेष-स्वरूप अनंत भगवान की मूर्ति स्थापित करें. अथवा घट के ऊपर कुश से बना हुआ चतुर्भुज अनंत भगवान की मूर्ति स्थापित करें.
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तांबे के पात्र पर पीले चंदन से अष्टदल कमल बनाएं. अब 14 गांठ युक्त नए डोरक पंच देवता व भगवान् विष्णु की पूजा करें. इसके बाद संकल्प लें. संकल्प मंत्र- "ओम् अद्य भाद्रे मासि शुक्ले पक्षे चतुर्दश्यां तिथौ अमुक गोत्रस्य अमुक शर्मणः सपरिवारस्य सर्वबाधाप्रशमन धनधान्यसुतान्वितत्वरीसर्वपापक्षय त्रिविधोत्पात प्रशमन शरीरारोग्य-सकलमनोभिलषित-कामावाप्तिकामः साङ्ग सपरिवार श्रीमदनन्त-पूजनं तत्कथाश्रवण च अहम् करिष्ये." पंडित जी के द्वारा पूजा कराने पर 'करिष्ये' के स्थान पर 'करिष्यामि' होगा.
संकल्प के बाद हो सके तो संक्षिप्त विधि से भी शांतिकलश की स्थापना करें. इसके बाद अनंत भगवान की षोडशोपचार, दशोपचार या पंचोपचार पूजन करें. पूजन में जौ-तिल का प्रयोग किया जाता है. अक्षत का प्रयोग कतई न करें. भगवान को शंख से जल देना आवश्यक माना गया है. दक्षिणवर्ती शंख का प्रयोग सर्वोत्तम माना गया है. दक्षिणवर्ती शंख से अनंत भगवान की पूजा करने से सात जन्म के पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं.
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पश्चात् संभव हो तो पुरुषसूक्त (सोलह ऋचा) से भगवान को जल दें. कम से कम दो ऋचाओं से अवश्य जल देना चाहिए. भगवान को कनैल, जूही, दनूफ, अड़हुल, गुलाब, और कमल का फूल अत्यधिक प्रिय है. अनंत पूजा में तुलसी-पत्ता का इस्तेमाल अत्यंत आवश्यक माना गया है. इसलिए इसका प्रयोग अवश्य करें. इलके अलावा इस पूजा में भृंगराज, शमी, तमास और धात्री का पत्र का प्रयोग पुण्यदायी होता, ऐसा नारद पुराण में वर्णित है.
इतना करने के बाद भगवान के चौदह नाम से 14 गांठ वाले डोरक का विधिवत् पूजन करें. पश्चात् 14 प्रकार के फल, पकवान और मिष्टान अनंत भगवान को भोग लगाएं. इसके पश्चात् पुराने डोरक की पूजा कर विसर्जन कर दें. फिर अनंत भगवान की कथा श्रद्धापूर्वक करें या सुनें. कथा करने के बाद भगवान का चार बार प्रदक्षिणा करें. इसके बाद अनंत भगवान की आरती कर विसर्जन करें. विसर्जन के उपरांत अनंत डोरक को पुरुष दाहिनी भुजा और स्त्री बाँयी भुजा पर बाँधे. इसके बाद चरणामृत लेकर प्रसाद ग्रहण करें.
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अनंत पूजा मंत्र_anant puja mantra
अनंत डोरक बाँधने का मंत्र_anant dorak mantra
अनन्तसंसार महासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव
अनन्तरूपे विनयोजयस्व ह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते।
ओम् इदं डोरकमनन्तमाख्यं चतुर्दश गुणात्मकम्
सर्वदेवमयं विष्णो स्वकरे धारयाम्यहम्।
चरणामृत ग्रहण करने का मंत्र
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्
विष्णोः पादोदकम् पित्वा शिरसा धारयाम्यहम्
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