Header Ads

dasaratha shani stotra_ शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए बेहद प्रभावशाली है ये स्तोत्र और shani mantra

 dasaratha shani stotra_शनि दोष से छुटकारा पाने के अनेक उपाय किए जाते हैं. दशरथ कृत शनि स्तोत्र_dashrath krit shani stotra_का पाठ भी उनमें से एक है. शनि स्तोत्र (shani stotra) का विधिवत् पाठ शीघ्र ही शनिदोष (shani dosh) से छुटकारा दिलाता है. अगर कोई शनि स्तोत्र (shani stotra in sanskrit) का पाठ करने में असक्षम है, तो वह कुछ आसान उपाय मसलन गरीबों को दान. शनि मंत्र (shani mantras) का जाप करता है. इसके अलावा कुछ लोग हनुमान जी (hanuman ji) की स्तुति कर शनि दोष से छुटकारा पाना चाहता हैं. परंतु, कई बार ये सब करने के बाद भी अभिष्ट लाभ नहीं मिलता. हम आपको कुछ चुनिंदा और शीध्र फलदायी शनि मंत्र (shani mantra), दशरथ रचित शनि स्तोत्र (dashrath rachit shani stotra) व उपाय (shni dosh upay) बता रहे हैं. 

dasaratha shani stotra_ शनि दोष उपाय (shni dosh upay)

  • शनिवार की शाम सूर्यास्त से डेढ़ घंटा के बीच तिल-तेल का दिया जलाएं। 
  • शनि मंदिर में या वहां उपस्थित दान के योग्य व्यक्ति को काले तिल, काले चने या उड़द, अपनी क्षमता के मुताबिक दान स्वरुप प्रदान करें.
  • दशरथ रचित शनि-स्तोत्र का पाठ मंगलवार अथवा शनिवार को मंदिर में करें।
  • माता-पिता या अभिभावक की निःस्वार्थ सेवा करें। साथ ही बुजुर्ग इंसान का अपमान करने से बचें।
  • शनि दोष निवारण के लिए शनिवार की शाम तिल-तेल से शनिदेव का श्रद्धा पूर्वक अभिषेक करें।
  • संभव हो तो शनिवार का व्रत रखकर उसी दिन संध्या में मंदिर परिसर में शनि-स्तोत्र का कम से कम 11 बार पाठ करें।

dasaratha shani stotra
दशरथ शनि स्तोत्र-शनि मंत्र

दशरथ रचित शनि स्तोत्र (dashrath krit shani stotra)

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।1।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ।।2।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेथ वै नम:।

नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।3।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: ।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।4।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ।।5।।

इसे भी पढ़ें- navagraha stotram_ शनि-राहु-केतु के लिए रामबाण है ये आसान नवग्रह स्तोत्र-मंत्र

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते ।

नमो मन्दगते तुभ्यं निरिणाय नमोऽस्तुते ।।6।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।7।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।8।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा: ।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।9।।

प्रसाद कुरुमे देव वाराहोहमुपागत ।

एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल: ।।10।।

इसे भी पढ़ें- shardiya navratri 2021_ इस बार होगी 8 पूजा, ये है शारदीय नवरात्रि से जुड़ी अहम जानकारी

शनि मंत्र (shani mantra) 

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।

सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः

मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ाम् हरतु में शनिः

नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजं।

छाया मार्तण्डसंभूतम् तं नामामि शनैश्चरम्।।

प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

No comments

Powered by Blogger.